जीवन के प्रति सात्विक राग के कवि थे महाकवि कृष्ण मोहन प्यारे, जयंती पर साहित्य सम्मेलन ने दी काव्यांजलि,

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पटना/ प्रतिनिधि (मालंच नई सुबह) पटना, १५ मई। जीवन के प्रति सात्विक राग और वितराग के अमर गायक थे महाकवि कृष्ण मोहन प्यारे। किंतु उनकी काव्य-सधना और अवदान को भी वह मूल्य नहीं मिला, जिससे बिहार के अनेक साहित्यकार वंचित रह गए। पृथ्वी पर स्वर्ग उतार लाने की उनकी कल्पना को शब्द तो मिले, किंतु उन शब्दों की ध्वनि अब तक भारतीय आत्मा तक नहीं पहुँचाई जा सकी है। बिहार के साहित्य-आलोचक यहाँ भी चूक गए। आलोचना-साहित्य में बिहार को अग्रणी भूमिका में आना चाहिए। बिहार को कुछ और नलिन विलोचन शर्मा की आवश्यकता है।

यह बातें रविवार को महाकवि प्यारे की जयंती पर आयोजित सम्मान-समारोह और कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि महाकवि प्यारे मगही और हिन्दी की श्री-वृद्धि में मूल्यवान अवदान देने वाले एक ऐसे कवि हैं, जिन्होंने पद्य और गद्य के लगभग दो दर्जन ग्रंथों में अपनी काव्य-कल्पनाओं के साथ यथार्थ का अद्भुत संयोजन किया है। उनकी कविताएँ और कहानियाँ मानव-मन की सूक्ष्मता से अवलोकन करती हैं।

समारोह के उद्घाटन कर्ता और पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार ने, इस अवसर पर ‘महाकवि कृष्ण मोहन प्यारे स्मृति सम्मान समिति’ की ओर से, मगही और हिन्दी के ख्याति-लब्ध कवि डा सत्येन्द्र सुमन को स्मृति-सम्मान से विभूषित किया। सम्मन-स्वरूप डा सुमन को प्रशस्ति-पत्र, वंदन-वस्त्र और स्मृति-चिन्ह सहित ११ हज़ार रूपए की सम्मान राशि प्रदान की गई। अपने उद्गार में न्यायमूर्ति ने कहा कि कृष्ण मोहन प्यारे मगही और हिन्दी के लोकप्रिय कवि थे। ऐसे मनीषी रचनाकार का स्मरण कर साहित्य सम्मेलन ने पुण्य का कार्य किया है। उन्होंने सम्मनित हुए साहित्यकार के प्रति शुभकामनाएँ व्यक्त की।

बिहार गीत के रचनाकार और हिन्दी प्रगति समिति, बिहार के अध्यक्ष कवि सत्यनारायण ने कहा कि कवि कभी मरता नहीं, वह अपनी रचनाओं में जीवित रहता है। वे एक बड़े रचनाकार भी थे और एक बड़े व्यक्ति भी थे। यह कहना कठिन था कि वह व्यक्ति अच्छे थे या कवि अच्छे थे।

मुंगेर विश्वविद्यालय के पूर्वकुलपति प्रो रणजीत कुमार वर्मा, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, महाकवि के पुत्र सुधांशु भूषण,डा लक्ष्मी पासवान, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, प्रो सुशील कुमार झा, विनीता सिन्हा, संगीता कुमारी, पूजा पल्लवी, स्मृति कुमारी तथा अमरेन्द्र कुमार अमर, डा बी एन विश्वकर्मा ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए।

इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन गीत के सुख्यात कवि आचार्य विजय गुंजन, डा ब्रह्मानन्द पाण्डेय, बच्चा ठाकुर, डा शालिनी पाण्डेय, जयप्रकाश पुजारी, डा आर प्रवेश, नन्दन मिश्र, डा दिनेश दिवाकर, घमण्डी राम, दा मनोज गोवर्द्धनपुरी, गायत्री कुमार मेहता, अर्जुन प्रसाद सिंह, डा कुंदन सिंह लोहानी, श्रीकांत व्यास, अधिवक्ता शिवानन्द गिरि, संदीप स्नेह आदि ने अपनी रचनाओं से महाकवि के प्रति कव्यांजलि अर्पित की। मंच का संचालन सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।

समारोह में ब्रज भूषण शर्मा, डा किरण कुमारी शर्मा, अर्चना राय भट्ट, डा चौधरी निरंजन प्रसाद, विकास शास्त्री, प्रणव कुमार समाजदार, शशि भूषण, चिन्मय भूषण, यश भूषण, चैटनट भूषण, मनोज कुमार मनोज, मिथिलेश सिंह, नवल किशोर प्रसाद, दुःख दमन सिंह,  आदि साहित्य-प्रेमी उपस्थित थे।

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