कोरोना काल और सोशल मीडिया

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  कोरोना काल और सोशल मीडिया

माधुरी भट्ट

स्कूल कक्षा का दृश्य

)बच्चे कक्षा में बैठे हुए हैं। आपस में शरारतें हो रही हैं,   मोबाइल पर गाना चल रहा है ,कुछ बच्चे  नृत्य कर रहे हैं तो कुछ बातों में मशगूल हैं।)अध्यापक का प्रवेश- (कुछ बच्चे  खड़े होकर अभिवादन करते हैं तो कुछ बैठे ही रह जाते हैं।)

अध्यापक-  A very worm good morning dear children. Sit all of you. This is your Value Education period. Take out  your  book. .

नीलेश !तुम्हारी शरारतें बढ़ती जा रही हैं, मोबाइल पर क्या कर रहे हो? अभी मोबाइल क्यों लेकर आए हो?

नीलेश-मोबाइल तो हमारी पढ़ाई का हिस्सा बन गया है सर!(मिनी कोहनी मारकर चुप रहने का संकेत देती है )सॉरी सर!शिक्षक- बिल्कुल सही कहा,लेकिन अभी तो इसकी ज़रूरत नहीं, अब तो हम आमने- सामने बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं।

अभिषेक- सर !,ये तो ऑन लाइन क्लासेज़ में भी  गेम ही खेलता रहता था।( सभी बच्चे हँस पड़ते हैं)

गीतिका-क्योंकि  आंटी तो इसे डाँटती ही नहीं सर, वह भी अपनी  सहेली के साथ खाने की रेसिपी पूछने में व्यस्त रहती हैं या फिर  अंकल के बारे में ही बातें करती रहती हैं कि वे ऑफिस से लौटने के बाद मोबाइल पर मैसेज पढ़ने और भेजने में ही  व्यस्त रहते हैं।मोबाइल पर ही रोते और हँसते रहते हैं।

शिक्षक- तुम्हें कैसे पता?गीतिका-क्योंकि इसकी मम्मी मेरी मम्मी की बेस्ट फ्रेंड जो है सर!हर पल यही बातें होती रहती हैं उनकी! (शिक्षक  हतप्रभ हो सारी बातें सुन कर माथै पर बल देते हुए)

नीलेश-सॉरी सरशिक्षक-तुम  लोग तो यह भी भूल गए कि  अपने शिक्षकों का,  अपने  से बड़ों का हमें सदा ही आदर करना चाहिए!

नीलिमा(बीच में ही टोकते हुए) सर! यह कह रहा था कि क्या ज़रूरत है, हर समय अभिवादन करते रहो,शिक्षक का काम है पढ़ाना, हम अभिवादन करें न करें उन्हें क्या?

शिक्षक- हूँ::::यही बात तो सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।इससे हमारे संस्कारों का पता चलता है। हम किस तरह के परिवार से सम्बंध रखते हैं? हमारे घर के संस्कार कैसे हैं?आपको पता होना चाहिए कि the cost of courtesy is nothing but always paid more.आफ़ताब- यस सर! मेरी अम्मी कहती है, जब हम किसी को नमन करते हैं तब उनके द्वारा दी गई ब्लेसिंग्स हमारे जीवन में बहुत काम आती हैं।

शिक्षक-बिल्कुल सही कहा मम्मी ने, उन बच्चों को विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए जो यह सोचते हैं कि जो  शिक्षक हमें पढा रहे  हैं ,  उन्हें तो मजबूरी वश  अभिवादन करना ही पड़ जाता है लेकिन जो अब नहीं पढ़ा रहे हैं उन्हें क्यों किया जाए!

तूलिका-  सर… सर..   शिक्षक– हाँ , बोलो  क्या कहना चाहती हो?

तूलिका–मेरे दादाजी कहते हैं कि जब हम किसी को नमन करते हैं तो हमारे प्रति उनके मन में स्नेह के भाव पैदा होते हैं और आशीर्वाद के रूप  में हमारे पास आते हैं। ये स्नेहाशीष के भाव हमें प्रसन्नता प्रदान करते हैं। साथ ही हम दूसरों की लोकप्रियता भी हासिल करते हैं।

शिक्षक-    बिल्कुल! इतनी अच्छी तालीम देने के लिए हमसब मिलकर दादाजी  के लिए कैल्प करें। बच्चो! कई बार हम जब किसी परेशानी में पड़ जाते हैं और हमें कोई समाधान नज़र नहीं आता, और अचानक ही हमें लगता है कि हमारी परेशानी का हल निकल आया है  तब हम कह उठते हैं, यह तो मिरेकल हो गया! हमारे जीवन में ये अदृश्य ब्लेसिंग्स  ही मिरेकल्स बन कर आती हैं।

(सभी बच्चे खुश हो कर ताली बजाते हैं।)

शिक्षक- ओह तूलिका!   कितनी बार समझाया तुम्हें यह तरीका ठीक नहीं है  बैठने का।

नीलेश- यस सर! ऑन लाइन क्लासेज़ में तो  लेटे- लेटे ही नाश्ता- पानी भी साथ  में चलता  रहता था इनका। जैसे ही आपकी नज़र पड़ने वाली होती , कैमरा ऑफ हो जाता था।( सभी ठहाके मारकर  हँस पड़ते हैं)शिक्षक–देखो बच्चों! सीधी सी बात है, यदि हम ग़लत तरीक़े से बैठते हैं तो, (स्वयं बैठ कर दिखाते  हैं)उसका असर हमारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर पड़ता है और हम समय से पूर्व ही बूढ़े होने लगते हैं। क्या आप लोग चाहोगे ! समय से पूर्व बूढ़ा होना?

(सब एक साथ–) बिल्कुल भी नहीं सर! लेकिन ऐसा कैसे सर! इस तरह बैठने में तो कितना आराम मिलता है …..लगता भी नहीं कि पढ़ाई का बोझ है सिर पर!

शिक्षक- हूँ…. “क्षणिक सुख तो अवश्य मिलता है परन्तु..(बीच में ही तूलिका बोल पड़ती है  )

तूलिका- सर! पिछली कक्षा में मैम ने बताया था कि ग़लत ढंग से बैठने पर ब्रेन में  रक्त संचार सही तरह से नहीं हो पाता है जिसके कारण हमारी स्मरण शक्ति घटने लगती है।

आफ़ताब-    सर!  ..और यह भी बताया था कि हमारे शरीर का सही तरीके से विकास भी नहीं हो पाता।नीलिमा– (हँसते हुए) और सर! यह भी बताया था कि हमारे  चेहरे की चमक भी छूमन्तर हो जाती है।( सभी ठहाका मार कर हँस पड़ते हैं)शिक्षक- -बिल्कुल सत्य उन्होंने! लेकिन आप लोगों को उनकी कही हुई बातों पर अमल भी तो करना चाहिए।

(सभी एक स्वर में- यस सर!)शिक्षक- आप लोग बिना मास्क लगाए आए हैं, अभी तो कोरोना वाइरस पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है न!(सभी बच्चे एक साथ)–सर ! कल से हमसब मास्क लगाकर भी आएँगे और सैनिटाइजर भी साथ में रखेंगे।शिक्षक- –और आपस में दो —-(सभी बच्चे बोलते हैं।)”दो गज की दूरी भी बनाकर रखेंगे ,   औरों को भी इसके लिए जागृत करेंगेकोरोना को हमें हराना है,  अपने संग – संगऔरों  को भी स्वस्थ और खुशहाल

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