ओम

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 सरोज गिरि

ओम ही सार है, ओम ही संसार है I

ओम ही ज्ञान है, ओम ही विज्ञान है I

   ओम ही दर्शन हैं, ओम ही सर्जन है I

ओम ही शान्ति है ओम ही विश्रांति है I

 ओम ही पुण्य है , ओम  ही  शून्य है I

ओम  ही शक्ति है ओम  ही भक्ति है I

 ओम  ही  दृष्टि है ओम  ही  सृष्टि  है I

ओम ही प्रभात है ओमही शुरुआत है।

ओम  ही  तप  है  ओम  ही  सुव्रत है।

ओम  ही  स्वर  है ओम  ही नश्वर है I

 ओम  ही  जीव  है ओम  ही  ब्रह्म है I

ओम ही भावना है ओम ही प्रार्थना है I

ओम  ही भाव है ओम ही आस्था है I

 ओम ही प्रसाद है ओम ही विश्वास है I

ओम  ही  गुरु  है ओम ही अणु  है I

ओम ही अनन्त है ओम ही ब्रह्मांड है |

ओम  ही  पथ्य है ओम  ही  सत्य  है I

ओम ही प्रकाश है ओम ही आकाश है|

ओम  ही  मोक्ष है ओम ही  मुक्त  है I

 ओम ही निर्लिप्त है ओम ही विरक्त है I

ओम ही द्वंद है ओम  ही निरद्वंद  है I

ओम  ही चैतन्य है  ओम  ही अन्य है I

 ओम ही अंजाम है ओम ही आगाज है

 ओम ही अंत है ओम ही है प्रारम्भ है I

ओम  ही अस्त्र  है ओम  ही  शस्त्र है I

ओम  ही  साध्य  है ओम  ही लक्ष्य है I

ओम  ही  राम है ओम  ही  विराम है I

ओम ही अनंत है ओम ही भगवंत है I

ओम ही अच्युत है ओम ही प्रभुत्व है I

 ओम  ही  चंदन है ओम ही  वंदन  है I

ओम  ही  यंत्र  है  ओम  ही  मंत्र  है I

ओम ही  माला है ओम ही  भाला है ।

ओम  ही  देव है  ओम  ही  त्रिदेव है I

ओम  ही  अजर है ओम  ही अमर है I

ओम ही जीवन है ओमही विसर्जन है।

ओम ही नाद है ओम ही  शंखनाद है I

ओम ही  लय  है ओम ही  विलय  है I

ओम ही आधार है ओमही सर्वाधार हैi

 ओम ही अधिष्ठान है ओमही अपूर्व है I

ओम  ही  ध्यान है ओम  ही संपूर्ण है I

ओम ही सर्वदा है ओमही हर जगहा है

ओम ही प्रेम है ओम ही है उपासना है

 ओम  ही कवच है ओम  ही  ढाल है

 ओम ही श्वांस है ओम ही महाकाल है

ओम ही विराट है ओम  ही  व्यास है

ओम ही सारतत्व है ओमही हरवक़्त है

 ओम  ही  रिद्मम  है  ओम ही  ताल है

ओम  ही  जीवन है ओम  ही  काल है

ओम ही ओंकार है ओम ही हुंकार है ।

ओम ही जड ओमही चेतन विशाल है।

ओम ही त्याग है ओम ही वैराग्य है ।

ओम ही माया है ओम ही त्रैलोक्य है।

ओम ही श्रवण है ओम ही  प्रणव है।

 ओम ही प्रलय है ओम  ही  सृजन है ।

ओमही समाधि है ओमही समाधान है।

 ओम  ही  श्वांस  है ओम  ही  प्राण  है।

ओम ही मुक्त है ओम ही है अव्यक्त है।

ओम  ही  क्षेत्र  है ओम  ही  क्षेत्रज्ञ  है।

 ओम ही पुराण है ओमही उपनिषद है।

 ओम  ही  वेद है ओम  ही  है वेदांत है।

 ओम  ही  अक्षर  है ओम ही अक्षय है।

 ओमही निष्ठा है ओमही परम लक्ष्य है।

 ओम  ही  शेष  है ओम  ही विशेष  है ।

ओम  ही  पराक्रम  ओम  ही  तेज है ।

ओम ही संकल्प है ओमही विकल्प है।

 ओमही साधना है ओमही वृक्षकल्प हैंI

ओम  ही  सिद्धि है ओम  ही सिद्ध है ।

ओम ही सर्वाधार है ओम ही विरक्त है।

ओम ही सूत्र है ओम ही  रक्षा सूत्र है ।

ओम ही समतत्व है ओमही प्रभुत्व है।

ओम  ही उकार है ओम ही  मकार है।

ओम  ही  पुण्य है ओम  ही  शून्य  है।

ओम  ही  शेष  है ओम  ही विशेष है ।

ओम ही ईश् है ओम ही जगदीश है I

ओम ही शिवत्व है ओम ही ब्रह्मत्व है

 ओम ही हरि तत्व है ओम ही सर्वत्र है

ओम  ही  सिन्धु  है ओम ही  बिंदु  है I

ओम ही ध्वनि है ओमही प्रतिध्वनि है I

ओमही गुणाधीश हैओमही गुणातीतहै

ओम  ही  पावन  है ओम  ही  तीर्थ है I

ओम ओषधि हैओमही अनिष्टकारी है।

ओमही शाश्वत हैओमही अविनाशी है।

 ओम ही अगम्य है ओम ही अगोचर है।

 ओम ही  एक है ओम  ही अद्वितीय है।

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