होली की मस्ती को निगलता डिजिटल होली

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होली की मस्ती को निगलता  डिजिटल होली

नीरव समदार्शी

होली में  2 दिन शेष है।ना होली के गीत हैं ना बच्चों की हुल्लड़ बाजी । हां अगर बचा है तो व्हाट्सएप ग्रुप पर्सनल चैटिंग होली की छुट्टी होली मनाने के आइडियाज एक दूसरे से शेयर की जा रही चैटिंग।होली और होली से संबंधित पोस्ट यह सब पिछले कई दिनों से लगातार जारी है। ग्रुपओ के होली पोस्टरों में ना होली की मस्ती  है ना भाईचारा अगर कुछ है तो बस राजनीतिक प्रतिद्वंदिता धार्मिक उन्माद ।
डिजिटल होली ने जैसे हमारी पारंपरिक होली और उसकी मस्ती को निगल लिया है।
अभी हाल तक या यूं कहें कि 4G आने के पूर्व तक बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाया करता था होली। पुरानी पारंपरिक और गवई होली तो नहीं किंतु 25-50 घरों पर ही सही कुछ लोगों की जमावड़े के साथ होली गीत कानों में गूंज ही जाया करता था। किसी ना किसी बहाने होली के कई दिन पहले से ही दही की होली हल्दी की होली गुलाबों की होली हर दो चार घरों  पर को ही जाया करता था । मेहमान आए होली से पहले जाने को हुए  तो थोड़ा रंग भी हो गया या गुलाल भी हो गया ।4G आने के बाद से जब व्हाट्सएप ग्रुप  फेसबुक चैटिंग का दौर शुरू हुआ ।अनजान दोस्ती और दोस्ती गहरानेकी नियत। उसमें नजदीकी रिश्ते बनाने की हवस। इन सब विकृतियों के बीच पारंपरिक होली व्हाट्सएप ग्रुप और पर्सनल इनबॉक्स में सिमट कर रह गया है।
2दिन बाद होली  और कल से जगह जगह पर होली मिलन समारोह का दौर शुरू हुआ  है होली मिलन समारोह में विभिन्न समुदाय के लोग इकट्ठे होकर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं थोड़ा बहुत होली गीत गाया जाता है और मीडिया के सामने फोटो खिंचवाई जाती है तथा कुछ घंटे के होली के साथ इवेंट समाप्त होते ही कुछ पल का भाईचारा भी समाप्त हो जाता है।

 फिर दौर हो शुरू होता है उन समारोहों के फोटो और वीडियो व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर करना स्टेटस लगाना और स्वयं प्रशंसित पोस्टरो को फेसबुक या अन्य सोशल नेटवर्किंग के जरिए फैलाने का प्रयास ।होली की मस्ती से अधिक ध्यान अपने कार्यों फोटो और वीडियोस को अधिक से अधिक दूर तक फैलाने पर ध्यान। इसके लिए कार्यक्रम और होली गीतों में मस्ती लाने के बजाय संपूर्ण ध्यान कैमरा फ्रेम और फोटो एंग  पर सिमट कर रह जाता है।
होली के दिन की स्थितिहोती है। दो चार पांच लोगों की टोली 10,15, 20 मिनट तक एक दूसरे के साथ रंग खेल विभिन्न तरह के फोटो और वीडियो तैयार कर अपने यूट्यूब चैनल , व्हाट्सएप स्टेटस और फेसबुक पोस्ट रिल शॉट पर अधिकतर लोगों का ध्यान केंद्रित हो जाता है।
इस तरह इस डिजिटल युग मे । होली और होली की मस्ती से कहीं ज्यादा लोगों का ध्यान डीपी और पोस्टों पर सिमट गया है ।
यानी आज के इस डिजिटल युग में होली में रंग भी है गुलाल भी है होली के गीत भी है टोली भी है किन्तु हमारी उस पारंपरिक होली की आत्मा जैसे इस डिजिटल डिवाइसों ने निगल लिया है।

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