हम एक दूसरे की कद्र किए बिना सुखी परिवार और सुखी परिवार बिना सुखी समाज नही बना सकते

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पूनम आनंद पटना

परिवार की नीव पति  पत्नी के आधारस्तंभ से ही शुरू होती है। पति पत्नी बनते हैं एक साथ अनेक रिश्तो की शाखा खुद ब खुद निकल आती है। आपसी प्रेम के अद्भुत संगम का तिकोनिया चतुर्भुज रूप इस रिश्ते से बनते हैं प्रगट नजर आने लगता है। हमारे भारतीय समाज में गांधर्व विवाह हो या अभिभावकों द्वारा तय किसी भी विवाह को मान्यता मिली हो। दोनों स्थितियों में हम अपने सामाजिक बंधन की बुनियाद शुरू कर गिरस्ती की गाड़ी को आगे बढ़ाते हैं। सफल वैवाहिक जीवन को सुखी कर सभी आनंदमय जीवन जीते हैं और वहीं कहीं थोड़ी सी नासमझी एक दूसरे की जिंदगी तबाह कर देती है।

 कभी-कभी आपसी सूझबूझ घर की बुनियाद को मजबूती देती है। कभी इसकी कमी इस आधारस्तंभ में दरार डाल नीव  को ही हिला कर रख देती है। जिस कारण संबंध होने वाला रिश्ता वैवाहिक जीवन की कलुस्ता में बदलने लगता है। आदर्श जोड़ियां समाज में उदाहरण प्रस्तुत कर दूसरे को भी अच्छा सिखाने का मार्ग देती है वही असफल जोड़ियां ग्रहण बनकर एक दूसरे के लिए अनपेक्षित सीख देती हैं। जब दोनों के अंतर्मन में बंद होने लगता है तब यह समझ पाना काफी कठिन हो जाता है कि क्या सही है और क्या गलत.परिणाम स्वरूप दोनों में से कोई भी नरम होकर यह स्वीकार नहीं कर पाता कि गलती कहां से शुरू हुई है। इस तरह इस कठिन समस्या को किस तरह दूर किया जाए जिससे पति पत्नी के इस सुंदर रिश्ते की गरिमा बनी रहे खामखा के  परिवार में बिखराव की नौबत ना आए। एक सुंदर घर का सपना ना टूटे और अपनी गृहस्ती  स्वर्ग से सुंदर बनाए रखने में अपनी कल्पनाओं से सजाकर अपने को साकार हर एक पल रोमांटिक हो सके। इन बातो को आप अपनाएंगे तो आपका जीवन सफल होगा नंबर 1  एक दूसरे की भावना को समझें। आंतरिक गुणों को परखे और उसे समझने की कोशिश करें। नंबर दो एक दूसरे की कमी गिनाने  की बजाय उस कमी को ही दूर करने का प्रयास करें। नंबर तीन निस्वार्थ भाव से एक दूसरे को प्रेम करें नंबर 4 झूठेऔर  आडंबर से रहें नंबर 5 दूसरों से तुलना कर अपनी गृहस्थी की नींव को कमजोर नहीं करें नंबर 6 अपनी आपसी बात दूसरों के सामने प्रकट कर रिश्तो को कमजोर नहीं बनावे नंबर 7 एक दूसरे को सहयोग कर आपसी समझ और विश्वास को मजबूत बनाने।

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