सफलता का पैमाना आर्थिक होना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है

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नीरव समदर्शी

आज के भागमभाग भरी जीवन शैली का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि लोग किसी संगठन,समान या फिर व्यक्ति के प्रति अपनी छवि विकसित करने के लिए प्रचार तंत्र,सामनेवाले का गेटप को महत्व देते है। जबकि प्रचार या गेटप का का अर्थ है दिखावा यानी सच और झूठ का घोरमठा। बच्चों का पढ़ना हो या किसी व्यक्ति या किसी समाज के प्रति अपनई छवि निर्धारित करना हो समय अभाव में लोग उस संस्था व्यक्ति या वस्तु पर खर्च किए गए रुपए के आधार पर अपना इंप्रेशन बनाते हैं ।लोगों को फुर्सत नहीं है कि कोई व्यक्ति वस्तु की भीतरी गुणों को परखने में समय लगाए ।

ऐसे में हर व्यक्ति या संगठन की मजबरी है कि वह येन के प्रकारेण जहाँ त्यक्ष से रुपया इकठ्ठा कर सपना फर्स्ट इम्प्रेसन अच्छा बनाए।जब किसी और जगह से पैसा उगाही किया जाएगा तो इस स्थिति में निश्चितता नही होगी कि निवेश सही ढंग से हो। इस तरह गलत लोगों या संस्था से निर्मित संस्थान में काम करने वाले लोगों को खास वर्गों के प्रति पूर्वाग्रह रखना मजबूरी और स्वाभाविक है ।चाहे वह संस्थान मीडिया हाउस की क्यों ना हो कमोबेश यही स्थिति चुनावी प्रक्रिया और चुनावी प्रचार तंत्र में भी है। आमजन जिसे अपना नेता मानते हैं उसे बड़ा और अच्छा नेता उसके जीवन शैली और उसके अंदर के गेट अप को देख कर ही मानते हैं ।बड़े और कद्दावर नेता होने का प्रमाण पत्र अगर इसके रहन सहनया गेट अप को देखकरआंका जाएगा तो निश्चित तौर पर चुनाव में जनता से गलती होगी। क्योंकि ज्यादा धन इकट्ठा करना सही तरीके से संभव नहीं है ।।तातपर्य यश कि जनता के प्रति अपने लिए भाव पैदा करना अगर आर्थिक कामयाबी पर निर्भर करेगा तो निश्चित तौर पर चुनाव के बाद येन केन प्रकारेण संपत्ति जमा करने की परिपाटी विकसित होगी आजादी के बाद बदलते परिवेश में आम जनता की यही सोच धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए भ्रष्टाचार गुंडा तंत्र के साथ सांठगांठ पर्दा के पीछे से हटकर अब खुले तौर पर बाहर आ गया राजनीति और अपराध का यही गठजोड़ चुनाव और लोकतंत्र दोनों को भ्रष्टाचार के समुद्र में आकंठ डूबा दिया है

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