कम शब्दों में मन को झकझोरती है़ लघुकथाएं : डा ध्रुव

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पटना /प्रतिनिधि(मालंच नई सुबह)पटना। अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच के महासचिव डा.ध्रुव कुमार ने कहा है कि लघुकथा वास्तव में साहित्य की सभी गद्य विधाओं में न्यूनतम शब्दों से मन को अधिकतम स्तर तक झकझोरती है़। यही कारण है कि दिनों-दिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, विशेष कर युवा और महिलाओं में लघुकथा का क्रेज बढ़ रहा है I
वे आज स्थानीय युवा आवास सभागार में साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था स्वरांजलि के तत्वावधान में आयोजित लघुकथा-उत्सव की अध्यक्षता कर रहे थे I
उन्होंने कहा कि नए दौर में लंबी – लघुकथा और छोटी-लघुकथा की बहस बेमानी है। लघुकथा सिर्फ लघुकथा है ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पटना दूरदर्शन केंद्र के कार्यक्रम प्रमुख डॉ राजकुमार नाहर ने कहा कि
लघुकथा मानवीय संवेदनाओं को उजागर करने में सक्षम है। आप अपनी बातों को समय सीमा के तहत रख सकते हैं I भाग-दौड़ की ज़िंदगी में यह विधा सशक्त रूप में अपना स्थान बनाई है़। उन्होंने इस अवसर पर अपनी लघुकथा ” श्मशान का स्वप्न ” का पाठ भी किया।

कार्यक्रम में विभा रानी श्रीवास्तव ने ” कोढ़ “, डा. सूर्य प्रताप ने ” आत्म निर्भर भारत “, मधुरेश नारायण ने ” सामांजस्य “, नेक आलम ने ” बिहार दिवस “, प्रभात कुमार धवन ने ” होली “, डॉ ध्रुव कुमार ने ” अग्नि परीक्षा”, ” अमृता श्रीवास्तव ने ” अरमानों की सलीब “, अहमद रज़ा हाशमी ने ” चुनरी ” , आलोक चोपड़ा ने ” सम्मान “, रवि श्रीवास्तव ने ” उपहास ” सुधा पाण्डे ने ” उधेड़बुन ”
अनिल रश्मि ने ” श्रवण पुत्र ” लघुकथा का पाठ किया ।

युवा आवास संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मोहन कुमार ने कार्यक्रम में आए सभी लघुकथाकारों का स्वागत किया और उपाध्यक्ष सुधीर कुमार मधुकर ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संचालन अनिल रश्मि ने किया I

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